खुशीयों के पिछे का रहस्य

खुशीयों के पिछे का रहस्य

इस दुनिया में हर कोई अपने जीवन में खुशी चाहता है। क्या आपको लगता है कि खुशी पाना आसान है? क्या हम सच में इस वर्तमान अवस्था में खुश हैं?

खुशी केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं होती, यह पूरे परिवार के लिए होती है। हम तभी खुश हो सकते है जब हमारा पूरा परिवार खुश होगा। अगर हमारा परिवार किसी समस्या का सामना कर रहा है तो हम कभी भी खुश नहीं हो सकते। इसलिए हमारी खुशी हमारे परिवार की खुशियों के साथ जुडी हुई होती है।

सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलू है। अगर जीवन में कुछ अच्छा होता है, तो हमारा परिवार खुश हो जाता है। अगर जीवन में बुरी चीजें होती है, तो हमारा परिवार दुःखी हो जाता है।

जन्म और मृत्यु के बीच, जो समय हम धरती पर बिताते हैं, उसे “जीवन” कहते है। जीवन के विभिन्न चरण होते है जैसे कि शिक्षा, कैरियर (नौकरी/व्यवसाय/ खेती), विवाह, संबंध, धन, स्वास्थ्य, सपनों का घर, सेवानिवृत्त जीवन, आदि।

हर परिवार अपने जीवन में इन अवस्थाओं को पार करता है। कुछ परिवार अपने जीवन के कुछ चरणों में खुश हो सकते हैं जबकी कुछ परिवार अपने जीवन के कुछ चरणों में दुःखी हो सकते हैं।

परिवार खुश होता है:

  • जब बच्चे अपनी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं
  • जब बच्चों को अच्छी नौकरी मिल जाती हैं।
  • जब बच्चों की शादी तय हो जाती है|
  • जब व्यापार में अच्छा लाभ होता है।
  • जब एक नया घर/कार खरीदते है|
  • जब छुट्टी पर जाते है|

परिवार दुःखी होता है:

  • जब बच्चे असफल होते हैं या अपनी परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाते हैं।
  • जब बच्चों को अच्छी नौकरी नहीं मिलती है|
  • जब बच्चों की शादी में देरी होती है|
  • जब अपने व्यवसाय में नुकसान का सामना करते है|
  • जब नया घर बनाने या खरीदने में असमर्थ हो जाते है|
  • जब परिवार के सदस्यों के बीच लगातार झगड़े होते हैं।
  • जब बड़ी बीमारियों आदि से पीड़ित होते हैं।

ये समस्याएं हमे लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है। यह न केवल एक व्यक्ति को परेशान करती है, बल्कि यह पूरे परिवार को प्रभावित करती है और कभी-कभी यह काफी हद्द तक बढ सकता है।

कई विद्वानों और संतों ने कहा है कि “खुशी तुम्हारे भीतर है”। उनके अनुसार, यह पूरी तरह से सही है क्योंकि वह अकेले या आश्रमों में रहना पसंद करते हैं। लेकिन हम अपने घरों में अपने परिवार के साथ रहते हैं और कर्मचारियों या सहकर्मीयों के साथ कार्यालयों में काम करते हैं। अब ऐसी हालत में क्या अपने भीतर खुशी पाना संभव है?

मानव गुरु का अनन्य सरल वास्तु ज्ञान एक वैज्ञानिक सिद्धांत है और यह प्राचीन भारतीय मुल्यों और संस्कृति पर आधारित है। सिर्फ विश्व शक्ति के साथ संपर्क में आकर 9 से 180 दिनों में यह पूरे परिवार को आनंदमय जीवन का मार्ग दिखाता है फिर चाहे वह कोइ भी धर्म के क्यो न हो।

व्यक्ति की अपनी ऊर्जा होती है जिसकी कुछ कंपन तरंग होती हैं। व्यक्ति जहां रहता हैं और जहां काम करता है उसकी अपनी ऊर्जा होती हैं जिसकी कुछ कंपन तरंग होती हैं। ब्रह्मांड की भी अपनी कंपन तरंगे होती है। जब व्यक्ति और उसका घर और कार्यस्थल दोनो विश्व शक्ति के संपर्क में आते है, तो विश्व शक्ति व्यक्ति के शरीर, घर और कार्यस्थल में संचालित होती है। इससे शरीर की अरबों कोशिकाओं को जब आवश्यकता होती है तब विश्व शक्ति की आपुर्ति होने में मदद होती है।

जब शरीर की अरबो कोशिकाओं और अंगो को पर्याप्त मात्रा में विश्व शक्ति मिलती है; वो ज्यादा ऊर्जान्वित और क्रियाशील बनती है। यह पूरे शरीर के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है। इसके परिणाम स्वरुप परिवार का हर एक सदस्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक रुप से सशक्त होता है।

जब आप मानव गुरु के अनन्य सरल वास्तु मार्गदर्शन का पालन करेंगे, तो अगले 9 से 180 दिनों में आप आनंदमय जीवन का अनुभव लेना शुरू करेंगे।

 मानव गुरु

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