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मंजुला

शिक्षिका , कर्नाटक

मैं एक शिक्षिका हूँ और मैं अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती हूँ। हम बहुत सुखी जीवन जी रहे थे और अपने छोटे से परिवार और दुनिया में बहुत संतुष्ट थे। लेकिन धीरे-धीरे हमारे परिवार की खुशियां फीकी पड़ने लगीं। हमारी आपस में छोटी-छोटी तकरार होने लगी, हमारे बच्चे पढ़ाई में खराब प्रदर्शन करने लगे। हमारी वित्तीय स्थिरता हिल गई थी। मैं सोचती रही की हमारे परिवार में ऐसा क्यों हो रहा है। फिर एक दिन २००९ में, हमें पता चला की मुझे केंसर है । हमारी दुनिया बिखर गई। मुझे अपने पति और बच्चों की चिंता थी। मुझे इस बात की चिंता थी कि वे मेरे बिना कैसे ज़िंदा रहेंगे। मैं उदास हो गयी, मेरे पति और बच्चे उदास थे, पहले की सभी समस्याएं भी हमारे घर में बढ़ती रही।

मैं बहुत दुखी थी और लगातार सोचती थी कि अगर मैं मर गइ तो मेरे परिवार का क्या होगा। मेरे परिवार ने मुझे प्रोत्साहित करने की कोशिश की, लेकिन यह इतना आसान नहीं था. मेरे इलाज के लिए बैंगलोर में एक बड़ी सर्जरी की। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी उपचार किया और यह तीन साल तक चला। लेकिन सब बेकार गया। मेरे स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं दिखा। मेरी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई। मैं सारी उम्मीद खो चुकी थी। मैंने मेरी और आगे बढ रहे उस अंतिम भाग्य के लिए अपने मन को तैयार करना शुरू कर दिया।

हम पहले से ही आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे थे, लेकिन मेरी स्वास्थ्य स्थिति के कारण हम कर्ज में डूब गए क्योंकि हमें इलाज के लिए 10 लाख रुपये खर्च करने पड़े। इसने मेरे परिवार को बहुत सारी आर्थिक परेशानी में डाल दिया। मैंने सोचा कि अगर मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं है तो हम इतना पैसा क्यों खर्च करें? कम से कम हम उस पैसे का इस्तेमाल अपने बच्चों के भविष्य के लिए कर सकते हैं। फिर एक दिन हमें टेलीविजन कार्यक्रम के माध्यम से मानव गुरु और उनके अनन्य ज्ञान के बारे में पता चला। मेरे पति मानव गुरु के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कार्यक्रम देखते रहे। उन्होंने देखा कि मानव गुरु के अनन्य ज्ञान की मदद से हमारे जैसे कई परिवार घातक बीमारियों से बच के बहार आके स्वस्थ जीवन जी रहे है।

हमारे लिये यह आशा की एक किरण थी और किसी तरह मेरे पति को लगा कि यह सही चुनाव है। इसलिए उन्होंने मानवगुरु के अनन्य सरल वास्तु को अपनाया। हमारे परिवार के प्रत्येक सदस्य ने मानव गुरु के अनन्य ज्ञान को लागू करके अनुसरण करना शुरू किया केवल दो महीनों की छोटी अवधि के अंदर मैंने अपने स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलावों का अनुभव करना शुरू किया। मैंने अपने आप को सकारात्मक, आत्मविश्वास से भरा, स्वस्थ और आनंदित महसूस किया। मेरे परिवार के सदस्यों ने भी मुझमें भारी बदलाव देखा। मैंने डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई अपनी दवाओं और उपचारों को जारी रख रहा था। मानव गुरु ने मुझे कभी भी उपचार रोकने के लिए नहीं कहा लेकिन उपचारों के साथ-साथ उनके अनन्य ज्ञान का पालन करने के लिए कहा। फिर मेरे नियमित चेक-अप के दौरान, मेरी सभी रिपोर्टों ने आश्चर्यजनक रूप से मेरे स्वास्थ्य में बहुत सुधार दिखाया। ६ महीनों के भीतर, मेरी सभी रिपोर्ट सामान्य थी और हमारे डॉक्टर ने कहा कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और मेरे शरीर में कैंसर का कोई लक्षण नहीं दिख रहा हैं । उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी उपचार, दवा या चिकित्सा की कोई आवश्यकता नहीं है और मैं पूरी तरह से ठीक हो गयी हूँ। मैं और मेरे पति इतने हैरान थे कि हमें अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।

यह मेरे जीवन की सबसे बडी खुशी का पल था। मेरा परिवार, दोस्त और रिश्तेदार मेरे लिए बहुत खुश थे। स्वास्थ्य के अलावा, हमने अपने आर्थिक, रिश्तों और अपने बच्चों की शिक्षा में भी सकारात्मक बदलाव का अनुभव किया।
हम सोच रहे थे कि, कैसे मानव गुरु के अनन्य ज्ञान से कैंसर जैसी घातक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। मानव गुरु ने हमें विश्व शक्ति और हर एक के जीवन में इसके महत्व के बारे में समझाया। परिवेश वह जगह है जहाँ हम अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं। हम आमतौर पर अपने घर / कार्यस्थल में ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं। २४ घंटे में से, हम इन दोनों जगहों पर लगभग २० घंटे बिताते हैं।

सन 2000 में, मानव गुरुने एक अनन्य ज्ञान का निर्माण किया। यह वैज्ञानिक तत्वों, प्राचीन भारतीय मुल्यो और संस्कृती पर आधारित है। विश्व शक्ति से संपर्क बनाकर यह 9 से 180 दिनों में पूरे परिवार को आनंदमय जीवन जीने का मार्ग दिखाता है, फिर चाहे वो परिवार किसी भी धर्म का क्यों न हो।

हर एक मानव शरीर में जो उर्जा उत्पन्न होती है उसके अपने कंपनीय तरंग होते है। वो स्थान जहाँ वो रहते है/कार्य करते है, उनकी भी अपनी उर्जा होती और उसके अपने कंपनीय तरंग होते है। इसी तरह, विश्व शक्ति के भी अपने कंपनीय तरंग होते है। जब व्यक्ति, वे स्थान जहां वो रहते है/काम करते है, संबंधित कंपनीय तरंग के माध्यम से विश्व शक्ति के संपर्क में आते है, तब विश्व शक्ति स्वचलित रुप से उनके शरीर और स्थान जहाँ वो रहते है/कार्य करते है, वहाँ प्रसारित होती है। यह विश्व शक्ति को शरीर में खरबों कोशिकाओं को जब-जब आवश्यक हो तब-तब आपूर्ति करने में मदद करता है।

जब शरीर में खरबों कोशिकाओं और अंगों को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है तो वे अधिक क्रियाशील और सक्रिय हो जाते हैं। यह पूरे शरीर की अच्छी कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करता है। इससे परिवार का हर एक सदस्य मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक रूप से मजबूत हो जाता है और केवल 9 से 180 दिनों के भीतर आनंदमय जीवन का अनुभव करके उन्होंने जो भी जीवन में चाहा है वो सब पाना शुरू करते है।

यह समर्थन सुनिश्चित करता है कि शरीर में कोशिकाओं और अंगों को पर्याप्त ऊर्जा है। एक बार ऐसा होने के बाद, आप अपने उपचार में सकारात्मक बदलावों का अनुभव करना शुरू कर देंगे और कैंसर की रिपोर्ट 9 से 180 दिनों के भीतर में उलट दिखाई देगी।
यह शरीर की रोग प्रतीकार शक्ति को भी मजबूत करता है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।

हम अपने परिवार में हुए परिवर्तन से इतने खुश हैं कि हम व्यक्तिगत रूप से मानव गुरु से मिलना चाहते थे और उनका आशीर्वाद लेना चाहते थे। हमें अंततः वह अवसर मिला जब गुरुजी तुमकुर आए। हम उनसे मिले और यह मेरे और मेरे पति के लिए एक दिव्य अनुभव था। हम दिल से मानव गुरु श्री चंद्रशेखर गुरुजी को धन्यवाद देना चाहते हैं। मैं गर्व से कह सकती हूं कि गुरुजी ने मुझे एक नया जीवन दिया है।

मानवगुरु

श्रीमती मंजुला और उनके पति कर्नाटक के तुमकुर में सरल परिवार कार्यक्रम के दौरान मानवगुरु श्री चंद्रशेखर गुरुजी से मिलते हुए।

18 फरवरी 2018

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