मधुमेह या हायपरग्लिसेमिया क्या है?
मधुमेह मेलिटस एक चयापचय रोग है जो शरीर में शर्करा के स्तर में वृद्धि का कारण बनता है। हाइपरग्लेसेमिया उच्च रक्त शर्करा के लिए तकनीकी शब्द है।
रक्त में शर्करा का नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्यों कि रक्त के प्रवाह में शर्करा का उच्च स्तर शरीर के ऊतकों का दीर्घकालीक नुकसान करती है। महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं और दिल की बीमारी और पक्षाघात, गुर्दे की बिमारी, दृष्टी समस्या, दंत रोग, अंगों में खराब परिसंचरण और स्थायी तंत्रिका समस्याएं समय से पहले मौत का कारण बनती हैं।
मधुमेह का वांशिकता से गहरा संबंध है और शर्करा पर नियंत्रण रखने का सबसे अच्छा मार्ग यानी शर्करा के सेवन में संयम। जीवनशैली में गुणवत्ता पूर्ण बदलाव करके और स्वास्थ्यपूर्ण खाने को अपनाना इससे मधुमेह की जटिलताओं को कई बार टाल सकते है या विलम्बित कर सकते है।
मधुमेह के कारण और परिणाम स्वरुप
- टाइप 1 या जुवेनाईल – अग्नाशय की बिटा कोशिकाएं पर्याप्त इंसूलिन नही बनाती या बनाती ही नही है। अग्नाशय की बिटा कोशिकाएं प्रतिकार शक्ति प्रणाली के द्वारा नष्ट हो सकती है। वांशिक और पर्यावरणीय कारक इस में मुख्य कारक है।
- टाइप 2 या एडल्ट मधुमेह – इंसुलिन बनाने वाली बिटा कोशिकाएं इंसुलिन बनाते वक्त प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं होती। शुरू में तो अग्नाशय अतिरिक्त इंसुलिन बनाकर प्रतिक्रिया देता है, लेकिन अंत में शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक मात्रा में नहीं बना पाती। इसका कारण वांशिक या जीवनशैली हो सकता है।
- जेस्टेशनल मधुमेह हार्मोन से संबंधित होता है और सिर्फ गर्भधारण के समय पाया जाता है। गर्भनाल हार्मोन का उत्पादन करती है जो कोशिकाओं को कम संवेदनशील बनाता है, जिसका प्रभाव इंसुलिन पर पडता है इसके परिणामस्वरुप शर्करा की मात्रा बढ जाती है। इसका संबंध गर्भधारण के पहले और समय के दौरान बढने वाले वजन से भी होता है, यह परिणाम अलग-अलग हार्मोन का प्रभाव ज्यादा होने से होता है।
हाल ही के नए संशोधन बताते है कि पहले कुछ महिनो में रक्त के शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने पर बाद में होने वाली जटिलताओं पर रोक लगा सकते है और शर्करा के स्तर पर प्रतिक्रिया देने वाले प्रमुख अंगो को कम जोखिम हो सकता है।
मधुमेह कैसे होता है?
व्यक्ति को जब मधुमेह होता है, तो उसका शरीर आवश्यक मात्रा में इंसुलिन नहीं बना सकता है या फिर जो इंसुलिन तैयार हो गया है वो सही तरीके से उपयोग में नहीं ला पाता है। जिससे कोशिकाओं को उर्जा कम पहुँचती है। हम जो खाना खाते है वो शरीर की उर्जा में रूपांतरित होता है। जब बीटा कोशिकाओं को पर्याप्त उर्जा की आपुर्ति नही होती तब वो इंसुलिन का उत्पादन करना रोक देती है।
मानव गुरु के अनन्य सरल वास्तु के अनुसार, जब लोगों का विश्व शक्ति से संपर्क टुट जाता है तब उन्हे मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पडता है, भले हि वह हमेशा ही उससे घिरे हुए रह्ते है ।
क्या मधुमेह का स्थायी इलाज संभव है?
हां, निश्चित ही यह संभव है! जब व्यक्ति विश्व शक्ति के साथ संपर्क बनाता है, तो मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्या आसानी से ठीक होती है।
विश्व शक्ति क्या है?
सभी धर्म के शास्त्रो में भगवान के बारे में बताया है। वह एक ही है जो न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट हो सकता है। वो पैदा नहीं हुआ और ना कभी उसकी मृत्यु होगी। वो सर्वोच्च है। भगवान हर जगह है लेकिन कोई उसे देख नहीं सकता।
इस विश्व में एक अद्वितीय शक्ति है जिसे हम विश्व शक्ति कहते है। यह विश्व शक्ति भी विश्व में हर जगह मौजूद है लेकिन हम उसे देख नहीं सकते।
भगवान और विश्व शक्ति की विशेषताए एक जैसी है। फिर हम भगवान को विश्व शक्ति क्यों नहीं कह सकते।
विश्व शक्ति चेतना शक्ति है जो सदा हमारे आसपास रहती है। हम विश्व शक्ति को अलग-अलग नामों से जानते है जैसे कि, ‘प्राणशक्ति’ या फिर ‘वैश्विक ऊर्जा’ आदि।
आप विश्व शक्ति के साथ कहां संपर्क में आ सकते है?
विश्व शक्ति के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च या अन्य किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की जरूरत नही है। आप जिस स्थान पर ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करते हो वो स्थल महत्वपूर्ण होता है।
हम तकरीबन दिन के 10 से 12 घंटे हमारे घर में और 8 से 10 घंटे हमारे कार्यस्थल पर बिताते है यानी हम दिन के 24 घंटो में से 20 से 22 घंटे अपने घर और कार्यस्थल पर बिताते है इसलिए यह दोनो स्थल पर हम विश्व शक्ति से संपर्क बना सकते है।
आप विश्व शक्ति के संपर्क में कैसे आ सकते है?
मानव गुरु का सरल वास्तु मार्गदर्शन आपको और आपके परिवार को विश्व शक्ति से संपर्क बनाने में मदद करेगा।
वर्ष 2000 से, लाखो परिवार इसका अनुभव ले रहे है और आनंदमय जीवन जी रहे है।
क्या इसका कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण है?
विश्व शक्ति की विशेष कंपन तरंग होती है। ‘9’ अंक विश्व शक्ति का उच्च स्तरीय विशिष्ट कंपन तरंग है। हर व्यक्ति की अपनी उर्जा होती है जिसकी कुछ कंपन तरंग होती है। व्यक्ति जिस स्थान पर रहता है/कार्य करता है उसकी भी अपनी उर्जा होती है जिसकी कुछ कंपन तरंग होती है।
जब व्यक्ती और उसके घर/कार्यस्थल की कंपन तरंग विश्व शक्ति की कंपन तरंग के (अर्थात 9) संपर्क में आती है, उसके बाद तुरंत ही विश्व शक्ति उस व्यक्ति के शरीर और घर में संचालित होती है। इसके परिणाम स्वरूप शरीर की अरबों कोशिकाओं को जब आवश्यकता होती है तब विश्व शक्ति की उन्हें आपुर्ति होती है।
अन्य शब्दो में कहा जाए तो जब विश्व शक्ति व्यक्ति के शरीर में संचालित होती है तब शरीर की अरबों कोशिकाओं को विश्व शक्ति की आपुर्ति होती है और यह शरीर की कोशिकाओं और अंगो को अधिकतम उर्जान्वित और क्रियाशील बनाती है।
इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और
शैक्षिणिक दृष्टी से 9 से 180 दिनों में सकारात्मक बदलावों का अनुभव करने लगता है।
विश्व शक्ति की आपूर्ति बीटा कोशिकाओं को भी होती है जो अग्नाशय की द्विपिकाओं में (आइलेट्स) पाई जानेवाली एक किस्म की कोशिकाएं है, जो इंसुलिन को संश्लेषित और स्रावित करती है। जब बीटा कोशिकाए स्वस्थ और मजबूत होती है तो यह कुशलतापूर्वक इंसुलिन बनाती है। जिसका असर 9 से 180 दिनों के अंदर व्यक्ति को सकारात्मक बदलाव नजर आने लगते है जैसे कि:
- रक्त में शर्करा का स्तर फिर से सामान्य होगा और रिपोर्ट्स भी सुसंगत आएगी
- व्यक्ति के पूर्ण स्वास्थ्य में कुछ महिनों में सुधार होता है
- बीमारी ना होने के कारण परिवार में खुशियां बनी रहती है
मधुमेह को नियंत्रित करने और लंबे समय तक समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए शरीर की कोशिकाओं में असंतुलन को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका विश्व शक्ति के साथ संपर्क बनाना है।

अपने अनन्य सरल वास्तु ज्ञान के माध्यम से लाखो परिवारो की जिंदगी में 9 से 180 दिनो मे परिवर्तन लाया है।