पढाई करते समय एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार करने का आसान मार्ग

पढाई करते समय एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार करने का आसान मार्ग

एक विद्यार्थी को पढ़ना और उसे याद रखके ज्ञान का उपयोग अभ्यास के दौरान करना होता है। चाहे आप जो भी सीख रहे हो सभी प्रकार की शिक्षा के लिए एकाग्रता जरूरी है। सीखने की क्रिया के दौरान मस्तिष्क में जो दर्ज होता है या छप जाता है उसे ज्ञान कहते है।

एकाग्रता अनुशासन और नियमित अभ्यास से विकसित करना महत्वपूर्ण है। ध्यान केंद्रित कर अध्ययन करना और खेलने के समय के बीच संतुलन बनाना होगा। उचित आयोजन छात्र को एक अच्छा विद्यार्थी होने में मदद करता है और इससे सीखे हुए अध्याय को याद रखने में और जब आवश्यक्ता हो तब पुन: याद करने मे मदद मिलती है।

शिक्षा के दौरान आने वाली चुनौतियाँ:

  • अध्ययन में रुची ना होना और ध्यान केंद्रित ना होना
  • आलस, देरी और विचलित होना
  • प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने में और अपेक्षित गुण प्राप्त करने में असमर्थता
  • अपनी पसंदीदा शिक्षा संस्था में प्रवेश लेने में असमर्थ
  • विदेश में विशेष अभ्यास क्रम में अध्ययन करने में आने वाली बाधाएं
  • अस्वस्थ जीवनशैली, व्यसन, मादक द्रव्यों के सेवन
  • सीखने की प्रक्रिया के लिए अनुकूल माहौल ना होना

हिप्पोकैम्पस और स्मरणशक्ति में क्या संबंध है?

मस्तिष्क में हिप्पोकैम्पस सीखने और स्मृति का केंद्र है। बाहरी आघात, तंत्रिका संबंधी और मानसिक विकारों से क्षतिग्रस्त होने पर यह कुशलता से काम नहीं करता है।

मानव गुरु के अनन्य सरल वास्तु के अनुसार, जब हर समय विश्व शक्ति हमारे आसपास रहने के बावजूद भी हमारा उससे संपर्क टूट जाता है तब छात्रों को शिक्षा से जुडी समस्याओं का सामना करना पडता है।

तो क्या, यह संभव है…..

  • जल्द सिखना और उसे याद रखने के स्तर को बढ़ाना
  • विचलित होने से बचने के लिए अभिरूची और अनुशासन विकसित करना?
  • बुरी आदतों से छुटकारा पाकर स्वस्थ जीवन शैली अपनाना?
  • ध्यान केंद्रित करके परीक्षा में अपेक्षित उत्तम गुण प्राप्त करना?
  • पसंदीदा महाविद्यालय प्रवेश पाकर अभ्यास करना ?

हां, निश्चित रुप से यह संभव है! जब छात्र विश्व शक्ति के साथ संपर्क बनाता है तो शिक्षा में आ रही समस्याए जैसे की एकाग्रता की कमी, पढ़ा हुआ याद रखना , प्रवेश में बाधा, अनुशासन आदि समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है।

विश्व शक्ति क्या है?

सभी धर्म के शास्त्रो में भगवान के बारे में बताया है। वह एक ही है जो न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट हो सकता है। वो पैदा नहीं हुआ और ना कभी उसकी मृत्यु होगी। वो सर्वोच्च है। भगवान हर जगह है लेकिन कोई उसे देख नहीं सकता।

इस विश्व में एक अद्वितीय शक्ति है जिसे हम विश्व शक्ति कहते है। यह विश्व शक्ति भी विश्व में हर जगह मौजूद है लेकिन हम उसे देख नहीं सकते ।

भगवान और विश्व शक्ति की विशेषताए एक जैसी है। फिर हम भगवान को विश्व शक्ति क्यों नहीं कह सकते।

विश्व शक्ति चेतना शक्ति है जो सदा हमारे आसपास रहती है। हम विश्व शक्ति को अलग-अलग नामों से जानते है जैसे कि, ‘प्राणशक्ति’ या फिर ‘वैश्विक ऊर्जा’ आदि।

आप विश्व शक्ति के साथ कहां संपर्क में आ सकते है?

विश्व शक्ति के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च या अन्य किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की जरूरत नही है। आप जिस स्थान पर ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करते हो वो स्थल महत्वपूर्ण होता है।

हम तकरीबन दिन के 10 से 12 घंटे हमारे घर में और 8 से 10 घंटे हमारे कार्यस्थल पर बिताते है यानी हम दिन के 24 घंटो में से 20 से 22 घंटे अपने घर और कार्यस्थल पर बिताते है इसलिए यह दोनो स्थल पर हम विश्व शक्ति से संपर्क बना सकते है।

आप विश्व शक्ति के संपर्क में कैसे आ सकते है?

मानव गुरु का अनन्य सरल वास्तु मार्गदर्शन आपको और आपके परिवार को विश्व शक्ति से संपर्क बनाने में मदद करेंगे।

वर्ष 2000 से, लाखो परिवार इसका अनुभव ले रहे है और आनंदमय जीवन जी रहे है।

क्या इसका कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण है?

विश्व शक्ति की विशेष कंपन तरंग होती है। ‘9’ अंक विश्व शक्ति की उच्च स्तरीय विशिष्ट कंपन तरंग है। हर व्यक्ति की अपनी उर्जा होती है जिसकी कुछ कंपन तरंग होती है। व्यक्ति जिस स्थान पर रहता है/कार्य करता है उसकी भी अपनी उर्जा होती है जिसकी कुछ कंपन तरंग होती है।

जब व्यक्ति और उसके घर/कार्यस्थल की कंपन तरंग विश्व शक्ति की कंपन तरंग के (अर्थात 9) संपर्क में आती है उसके बाद तुरंत ही विश्व शक्ति उस व्यक्ति के शरीर और घर में संचालित होती है। इसके परिणाम स्वरूप शरीर की अरबों कोशिकाओं को जब आवश्यकता होती है तब विश्व शक्ति की उन्हें आपुर्ति होती है।

अन्य शब्दो में कहा जाए तो जब विश्व शक्ति व्यक्ति के शरीर में संचालित होती है तब शरीर की अरबों कोशिकाओं को विश्व शक्ति की आपुर्ति होती है और यह शरीर की कोशिकाओं और अंगो को अधिकतम उर्जान्वित और क्रियाशील बनाती है।

इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति/बच्चा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षणिक रुप से 9 से 180 दिनों में सकारात्मक बदलाव का अनुभव करने लगता है।

विश्व शक्ति प्रभावित हुए हिप्पोकैम्पस को भी फिर से सामान्य तरीके से कार्य करने में मदद करती है। जिससे स्मरणशक्ति के सभी स्तरों का विकास होकर जानकारी को अधिक अच्छे रुप से धारण करती है। आगे 9 से 180 दिनों में व्यक्ति में सकारात्मक बदलाव दिखाई देंगे वो कुछ इस तरह:

  1. सीखने की और ज्ञान अर्जित करने की चाह बढेगी
  2. शिक्षा से जुड़े कर्तव्य के महत्व और भावना को महसूस करेंगे जो शिक्षार्थी को बेहतर अध्ययन करने और अच्छे अंकों के साथ कक्षा में शीर्ष पर ले जाता है
  3. अवधारणा और स्मरणशक्ती का स्तर ऊंचा करता है
  4. पसंदीदा शिक्षा संस्था में प्रवेश प्राप्त करेंगे
  5. विदेश में विशेष पाठ्यक्रम सीखने के लिए प्रवेश प्राप्त करने में आ रही रुकावटे दूर करने में मदद मिलेगी
  6. आप देखेंगे दवाइयों और डॉक्टर्स या सलाहकारों से मिलने की जरुरत कम या फिर बिल्कूल ही नहीं रहेगी
  7. IAS, IPS, IFS, CA या KAS, KPS या अन्य कोई भी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
  8. विद्यार्थी को भविष्य में बुरी आदतों के प्रभाव का एहसास होगा और बुरी आदतों को छोड़ने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे

विश्व शक्ति के साथ संपर्क स्थापित करना यह शिक्षा में आनेवाली सभी बाधाएं दूर करने की दिशा में पहला कदम है। यह छात्र को कार्य की बेहतर स्थिति और प्राप्त ज्ञान के बेहतर उपयोग तक पहुंचने में मदद करता है।

 मानव गुरु

मानव गुरु

अपने अनन्य सरल वास्तु ज्ञान के माध्यम से लाखो परिवारो की जिंदगी में 9 से 180 दिनो मे परिवर्तन लाया है।

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